Sunday, 6 July 2025

Maa Saraswati Mantra

मां सरस्वती मंत्र अर्थ सहित | Maa Saraswati Mantra
मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती के मंत्र, आरती और वंदना का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्माजी के आशीर्वाद से मां सरस्वती प्रकट हुई थीं। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करने से मिलता है बुद्धि का वरदान-
लेख में-
सरस्वती मूल मंत्र।
विद्या-दायिनी सरस्वती मंत्र।
सरस्वती वंदना मंत्र।
1. सरस्वती मूल मंत्र:
ॐ श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै नमः ॥

मंत्र का अर्थ:
बुद्धि और सम्पन्नता से युक्त माता महासरस्वती को हमारा प्रणाम है। मां हमें सद्बुद्धि प्रदान करें और अपनी शरण में लें।

मंत्र का लाभ:
इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि और वाणी की शक्ति बढ़ती है, इसके साथ ही एकाग्रता में भी सहायता मिलती है।

2. विद्या-दायिनी सरस्वती मंत्र:
सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥

मंत्र का अर्थ:
हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, आपको नमस्कार करता हूं। मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूं, मुझे इस कार्य में हमेशा ही सिद्धि मिले।

मंत्र का लाभ:
इस मंत्र का जाप पढ़ाई शुरू करने से पहले करने पर विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।

3. सरस्वती वंदना मंत्र-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता,
सा मां पातु सरस्वति भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

मंत्र का अर्थ:
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वहीं संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें ।

मंत्र का लाभ:
दिन की शुरुआत में रोजाना इस वंदना को पढ़ने से विद्या, बुद्धि और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है।

इस प्रकार के अनमोल मंत्रों की जानकारी के लिए देखें श्री मंदिर साहित्य।

Friday, 12 April 2024

Hanuman Chalisa

 दोहा:


श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।


चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।


महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै। शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।।


विद्यावान गुणी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।


सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।


लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।


सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।।


जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।


तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना।। जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।


राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।


आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।


नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।। संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।


सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै।सोई अमित जीवन फल पावै।।


चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।। राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।


तुम्हरे भजन राम को भावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।। अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।


और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।। संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।


जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई।।


जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।


दोहा 

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

Maa Saraswati Mantra

मां सरस्वती मंत्र अर्थ सहित | Maa Saraswati Mantra मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पू...